मोदी, रामनवमी जुलूस...नजरूल इस्लाम के गढ़ में बदल गई राजनीति, जानिए आसनसोल के चुरुलिया में क्या मिजाज है?

चुरुलिया (पश्चिम बंगाल): आसनसोल के चुरुलिया में विद्रोही कवि कहे जाने वाले नजरुल इस्लाम के घर के बाहर दीवारों पर उनके वो गीत और छंद से पटे पड़े है, जिनमें सांप्रदायिक सद्भाव का दर्शन है, जिस पर वह जीवन भर चले और विद्रोही कवि कहलाए। तीन हजार से ज

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चुरुलिया (पश्चिम बंगाल): आसनसोल के चुरुलिया में विद्रोही कवि कहे जाने वाले नजरुल इस्लाम के घर के बाहर दीवारों पर उनके वो गीत और छंद से पटे पड़े है, जिनमें सांप्रदायिक सद्भाव का दर्शन है, जिस पर वह जीवन भर चले और विद्रोही कवि कहलाए। तीन हजार से ज्यादा गीत और संगीत की रचना करने वाले नजरूल गीति ना सिर्फ बंगाल बल्कि बांग्लादेश के जनमानस का हिस्सा बना। दोनों देशों की सरकारों से सम्मान पाने वाले साहित्यकार ने आसनसोल के इसी छोटे से गांव में धार्मिक सद्भाव से जुड़ा 'साम्यता का गान' का पाठ सीखा था। उनके घर से महज चार कदम की दूरी पर सब्जी बेच रहे मंसूर अली के अनुसार आज भी सद्भाव के साथ रहते हैं। हालांकि कुछ लोग कहते हैं कि दूसरे इलाकों में राजनीतिक पार्टियां ध्रुवीकरण की सीढ़ी चढ़ वोट हासिल करने की कोशिश करती रहती हैं।
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चुरुलिया में राम के साथ मोदी और अहलूवालिया के पोस्टर लगे हैं



यहां ऐसा माहौल नहीं चलता, यहां हिंदू और मुस्लिम साथ-साथ में रहते हैं। जब शादी होती है, तो सब साथ ही खाते हैं।
- मंसूर अली, सब्जी विक्रेता, चुरुलिया


'टीएमसी और बीजेपी ने सीपीएम के खिलाफ सेटिंग कर रखी है'

चुरुलिया के काजीबड़ा मुहल्ले में कुछ लोग धूप से बचते हुए गपशप कर रहे हैं। इनमें से एक शेख फकरूद्दीन एक बदलाव का जिक्र करते हैं। उनका कहना है कि केंद्र में बीजेपी सरकार के आने के बाद से ही यहां रामनवमी को लेकर ज्यादा जुलूस वगैरह देखने को मिल रहा है। इससे पहले यहां हिंदू यहां कालीपूजा, दुर्गापूजा और सरस्वती पूजा करते थे। हाल के वर्षों में रामनवमी का जुलूस भी देखने को मिल रहा है। इसी इलाके में रहने वाले सीमांतों काजी कहते हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी के वक्त भी ऐसा कुछ नहीं था। लेकिन अब धर्म की पॉलिटिक्स दिख रही है। उनके साथ बैठे तन्मय काज़ी कहते हैं कि ऐसा लगता है कि ममता बनर्जी और पीएम मोदी के बीच चुनावी सेटिंग है। ये लोग अब सीपीएम को राज्य में घुसने नहीं देंगे। गांव के हिंदू मोहल्लों में राम के पोस्टर और होर्डिंग्स की मौजूदगी गवाही देती है कि रामनवमी को लेकर काफी तैयारी की गई। इसी मुहल्ले के शख्स ने कहा कि पिछले पांच साल से रामनवमी को पहले के मुकाबले भव्य तरीके से मनाया जा रहा है।

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टीएमसी के पोस्टर में सिर्फ ममता बनर्जी नजर आ रही हैं, यहां से शत्रुघ्न सिन्हा उम्मीदवार हैं



मोदी और राम का प्रभाव भी पड़ रहा है चुनाव पर

दरअसल बंगाल में रामनवमी और उसे लेकर होने वाली हिंसा को लेकर टीएमसी और बीजेपी के बीच बीते कई सालों से तनातनी देखने को मिली है। इस राजनीति ने साल 2016 के दौरान जोर पकड़ा जब बीजेपी का राज्य में उभार हो रहा था। यहां के रानीगंज और आसनसोल में रामनवमी के जुलूस को लेकर 2017, 2018 और 2023 में भी हिंसा हुई। रानीगंज के रोनाई में जहां हिंसा 2016 में हिंसा देखी गई। राम मंदिर का असर भी चुरुलिया में काफी है। नाई की दुकान चलाने वाले दिलीप कहते हैं कि मोदी जी का काम अच्छा है, राममंदिर भी बनवाया है। इस बार जुलूस बहुत अच्छे से निकला। धूम धड़ाका से निकला। वहीं साथ लगी दुकान के अमन पंडित भी कहते हैं कि पीएम मोदी यहां लोकप्रिय है। इस इलाके में यहां के उम्मीदवार एस एस आहलुवालिया के पोस्टर में पीएम मोदी के साथ राम मंदिर की भी झलक दिख जाती है।

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चुरुलिया के स्थानीय लोग मानते हैं कि पांच साल में इलाके की राजनीति में बड़ा बदलाव हुआ है



गैर बंगाली आबादी को रिझाने में जुटी पार्टियां

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि टीएमसी के पास हिंदुत्व की राजनीति के इस उभार का कोई काट नहीं है क्योंकि धर्मनिरपेक्षता को लेकर उसकी वैचारिक प्रतिबद्धता पर भी सवाल उठते रहे हैं। माना जाता है कि टीएमसी भी सॉफ्ट हिंदुत्व की रणनीति पर चलती रही है। उसकी वजह यहां की गैर बंगाली आबादी है और बहुसंख्यकों की तादाद 80 फीसदी से ज्यादा है। इसके साथ ही मुस्लिम यहां 10 फीसदी ही हैं। हालांकि यहां एससी और एसटी समुदाय का ब्लॉक वोटिंग का पैटर्न भी रहा है। बर्दवान दुर्गापुर से शिफ्ट किए गए एस एस अहलूवालिया के सामने बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा हैं, जिन्हें गैर बंगाली आबादी के वोटों को ध्यान में रखकर उतारा गया है। चुरुलिया से निकलते वक्त जहन काज़ी नजरुल इस्लाम के चुरुलिया वाले संग्रहालय की एक तस्वीर पर अटक गया। जिसमें हिंदू और मुसलमान एक दूसरे को गले लगा रहे थे। लेकिन राजनीति का मिजाज़ अलग होता है। ये मौजूदा चुनाव के लिए लगे चुनावी पोस्टरों में अलिखित तौर पर पढ़ा जा सकता है।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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